जन्माष्टमी 2020 कब है और श्री कृष्णा जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है

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Janmastami-2020
जन्माष्टमी 2020

आप लोगों में ज्यादातर लोगों को जन्माष्टमी के बारे में पता तो होगा ही और आप जानते ही होंगे कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। बहुत लोगाें को ये पता रहता है कि जन्माष्टमी कब मनाई जाती है और जन्माष्टमी 2020 का समय कब है। भगवान श्री कृष्ण के बारे में और भी बहुत सी रोचक बातें हैं जाे आपको जाननी चाहिए। आइए उनके कुछ बातों के बारे में जानते हैं।

जन्माष्टमी का महत्व क्या है?

क्या जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में विष्णु भगवान ही ऐसे अकेले अवतार का रूप हैं जिनके जीवन हर पड़ाव में अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है। उनका बचपन का समय विभिन्न लीलाओं से भरा पड़ा है वहीं उनकी जवानी रास लीलाओं से भरी पड़ी है। कभी वे एक राजा के रूप में तो कभी एक मित्र के रूप में वे भक्तों और गरीबों के दुखें को हरते हैं। महाभारत के युद्ध में उनके द्वारा अर्जुन को गीता के उपदेश से कर्तव्यनिष्ठा का जो पाठ पढ़ाया है आज भी उसको अध्ययन करने पर हर बार उसके नये अर्थ निकल आते आते हैं जो अभी सुना नहीं होगा। इसीलिए जन्माष्टमी का महत्व इससे और बढ़ जाता है। 

कृष्ण का जन्म कब हुआ था?

आप तो यह जान ही गए होंगे कि जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को ही कहा जाता है। अक्सर लोगों के मन में यह विचार आता है कि कृष्ण का जन्म कब हुआ था? प्राचीण ग्रंथों में कृष्ण का जन्म हिन्दी माह भाद्रपद महिने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के समय में हुआ था। इसलिए यह माना जाता है कि यदि भाद्रपद महिने में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन यदि रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग बन रहा रहा हो तो यह और भी भाग्यशाली बन जाता है।

2020 में जन्माष्टमी कब है?

क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी 2020 की तारीख व मुहूर्त क्या है और 2020 में जन्माष्टमी कब है? आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी 2020 कब है और कृष्ण जन्म कितने बजे होगा? जन्माष्टमी इस वर्ष 11 अगस्त को मनाई जाएगी इसके समय इस प्रकार हैं

जन्माष्टमी 2020 की तारीख व मुहूर्त
निशिथ पूजा– 00:04 से 00:48
पारण– 11:15 (12 अगस्त) के बाद
रोहिणी समाप्त- रोहिणी नक्षत्र रहित जन्माष्टमी
अष्टमी तिथि आरंभ – 09:06 (11 अगस्त)
अष्टमी तिथि समाप्त – 11:15 (12 अगस्त)
(एकबार अपने आसपास रहने वाले किसी भी पुरोहित से जरूरी जानकारी ले लें।)

कृष्ण के जन्मोत्सव विदेश में भी मनाते हैं।

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण का जन्मदिन एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पूरे विधि विधान के साथ धूमधाम से बाल गोपाल का जन्मोत्सव को मनाने की परंपरा है। अब तो जन्माष्टमी विदेशों में भी धूम-धाम से मनाई जाती है। देश-विदेश में लोग जन्मोत्सव के लिए समय से पहले ही जन्माष्टमी की तैयारी करते हैं।

भारत के साथ-साथ विदेशों में सभी जगह लोग अलग अलग तरह से जन्मोत्सव मनाते हैं, कहीं झांकी सजाकर निकालते हैं और तो कहीं दही मटकी फोड़ने के साथ जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है।

जन्माष्टमी पर्व का महत्व क्या है?

क्या आप जानते हैं जन्माष्टमी का महत्व क्या है? अगर नहीं जानते हैं तो आईए जानते हैं – जन्माष्टमी का महत्व क्या है? श्रीकृष्ण जन्माेत्सव पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। लोग इस दिन व्रत रखकर पूजापाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार को मनाकर मन की हर मनोकामना पूरी की जा सकती है। अगर कोई नि:संतान है तो श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है, मनुष्य दीर्घायु होते हैं तथा सभी तरह के सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री कृष्ण को झूला झुलाने की मान्यता क्या है?

ऐसा माना जाता है कि इस एक दिन अगर व्रत रखेंगे तो कई व्रतों का फल अपने-आप मिल जाता है। शास्त्रों में कृष्ण जन्माष्टमी को सभी व्रत का राजा कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन श्री कृष्ण को झूला झुलाने बहुत ही महत्व है, लोग बड़े उत्साह के साथ कृष्ण भगवान को झूला झुलाने का काम करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई पालने में भगवान को झुला दे तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

Janmastami-2020

कृष्ण का जन्म क्यों हुआ?

बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो नहीं जानते होंगे कि श्रीकृष्ण का जन्म क्यों हुआ था और कृष्ण का जन्म कहां हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थान हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था रोहिणी नक्षत्र में यह तिथि पड़ने के कारण ही इसे जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है।
मथुरा की जेल में श्रीकृष्ण ने आधी रात में अपने अत्याचारी मामा कंस का विनाश करने के लिए ही माता देवकी की कोख से जन्म लिया था। भगवान विष्णु ही भगवान श्री कृष्ण के रूप में जन्म लेकर कंस का विनाश किए। इसी कारण पृथ्वी पर इसी दिन को कृष्ण भगवान का अवतरण का दिन माना जाता है। देश के साथ-साथ विदेश में भी जन्माष्टमी के दिन तरह-तरह के भव्य आयोजन किए जाते हैं।

जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि

जन्माष्टमी में व्रत कैसे करें और जन्माष्टमी व्रत की विधि क्या है आइए जानते हैं और अच्छे व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करें और अपनी मनोकामना को पूरा करें।

जन्माष्टमी व्रत और पूजन विधि

  1. जन्माष्टमी में अष्टमी के दिन से नवमी के दिन तक व्रत रखा जाता है और उपवास में रहा जाता है।
  2. व्रत को करने वाले को व्रत से एक दिन पहले (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करना चाहिए। रात में सोते समय मन और इंद्रियों को काबू में रखें।
  3. उपवास करने वाले दिन सुबह-सुबह नहाने के बाद सभी देवताओं को प्रणाम करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठ जाएं।
  4. हाथ में फल, जल व पुष्प को लेकर संकल्प करें तथा मध्यान्ह के समय काले तिल को जल से स्नान (छिड़ककर) कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएँ। अब इस सूतिका गृह में पहले सुन्दर बिछौना बिछाएं फिर उसपर शुभ कलश स्थापित करें।
  5. भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती मां देवकी जी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए विधिवत पूजन करें।
  6. उपवास के साथ व्रत को राज 12 बजे के बाद ही खोला जाता है। इसमें अनाज का उपयोग नहीं होता है। इस पर्व में फलहार के रूप में मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर पूजा किया जाता।

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