आइए जानते हैं हनुमान जयंती (Hanuman Jayatni) के बारे में
हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) है। हिन्दू (Hindu) धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम (Sri Ram) के परम भक्त हनुमान (SriHanuman) को संकट मोचक माना गया है. यह माना जाता है कि श्री हनुमान (Sri Hanuman) का नाम लेते ही हमारी सारे संकट दूर हो जाती है और भक्त के मन में किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। हनुमान जी नाम जाप करने से ही खराब शक्तियां गायब हो जाती हैं और आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। हनुमान जी (Hanuman) के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य पर ही देश भर में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के रूप में लोग मनाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। यह माना जाता है कि श्री हनुमान जी ने शिव भगवान के 11वें अवतार के रूप में मां अंजना ने हनुमान जी को जन्म दिया था। हिन्दुओ में हनुमान जी की जयंती मनाने की विशेष मान्यता है। यह माना जाता कि हनुमान जी की जयंती मनाने से जीवन के सारे कष्ट से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशहाली आती है। हिन्दुओ में श्री हनुमान जी को परम बलशाली और मंगलकारी मानते हैं। इसके कारण ही हर मंगलवार को हनुमान चालीसा पढ़कर इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
हनुमान जयंती पर Whatsapp Status लगाएं
हनुमान जयंती कब मनाई जाती है? (Hanuman Jayanti Date)
हिन्दू कैलेंडर (Hindu Calender) में तिथि के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti ) लोग मनाते हैं। हनुमान जयंती ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल मार्च या अप्रैल माह में मनाई जाती है। इस वर्ष हनुमान जयंती 8 अप्रैल 2020 को है. ऐसे भक्त अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार वर्ष में अलग-अलग दिन भी हनुमान जयंती मनाते हैं।
हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) की तिथि और शुभ मुहूर्त
हनुमान जयंती की तिथि (Hanuman Jayanti Date) : 8 अप्रैल 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ (Purnima Start) : 7 अप्रैल 2020 : दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त (Purnima End): 8 अप्रैल 2020 : सुबह 8 बजकर 4 मिनट तक
हनुमान जयंती के महत्व को जाने (Importance of Hanuman Jayanti)
हिन्दुओं में हनुमान जयंती का बहुत महत्व है। हनुमान जयंती लोग बढ़चढ़कर मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसे मनाने से संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न होते हैं और कष्टों को दूर कर जीवन में खुशहाली लाते हैं। हनुमान जयंती मनाने के लिए भक्त को पूरे दिन व्रत रखना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।. हनुमान जयंती के दिन 5 या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ना चाहिए। इससे पवन पुत्र हनुमान प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. हनुमान जयंती पर मंदिरों में हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तों के घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर-फुल माला भी चढ़ाया जाता है और सुंदर कांड का पाठ भी किया जाता है. पूजा के दिन ही शाम को हनुमान जी की आरती के बाद भक्तों में प्रसाद भी बांटा जाता है और सभी भक्तों के लिए मंगल कामना की जाती है. देश में कहीं-कहीं श्री हनुमान जयंती के मोके पर मेला भी लगाया जाता है।
हनुमान जयंती पर पूजा कैसे करें? (Hanuman Jayanti par puja kaise karein)
सुबह-सवेरे उठकर सीता-राम और श्री हनुमान जी का ध्यान लगाकर उन्हें याद करें।
पहले स्नान करें फिर ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा में हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करें. मान्यता है कि हनुमान जी मूर्ति खड़ी अवस्था में होनी चाहिए.
हनुमान जी ध्यान लगाकर पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें: ‘ॐ श्री हनुमंते नम:’.
इस दिन हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति को सिंदूर चढ़ाएं.
हनुमान जी को पान का बीड़ा भी चढ़ा सकते हैं.
मंगल कामना करते हुए हनुमान जी को इमरती का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है.
इस दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
पूजा के बाद आरती करें और फिर गुड़-चने का प्रसाद बांटें.
हनुमान जयंती के दिन क्या सावधानियां बरतें
श्री हनुमान जी की पूजा करने में शुद्धता का बहुत बड़ा महत्व है. इसलिए नहाने के बाद साफ-धुले कपड़े ही पहनें.
मांसाहारी भोजन या मदिरा का सेवन बिलकुल भी न करें।
अगर व्रत रख रहे हैं तो नमक का सेवन भी न करें।
श्री हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए महिलाएं हनुमन जी के चरणों में दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
श्री हनुमान जी की पूजा करते वक्त महिलाएं न तो हनुमान जी मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही वस्त्र अर्पित करना चाहिए।
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥
श्री हनुमान चलीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।