Monkeypox Virus : क्या है ये मंकीपॉक्स वायरस, जान लें ये सभी जरूरी बातें, रहेंगे सेफ

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Monkeypox virus Prevention

Monkeypox Virus : जहां एक ओर कोरोना महामारी के बीच अब दुनिया अभी संभल भी नहीं पाई है। वहीं दूसरी ओर एक और वायरस ने अपना पैर पसारना चालू कर दिया है। कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया अब तेजी से मंकीपॉक्स की चपेट में आ रही है। यह बीमारी अबतक 15 देशों में फैल गई है। और 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि किसी भी देश में इस बीमारी का एक मामला भी आउटब्रेक माना जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बीमारी में हर 10 में से एक व्यक्ति की मौत का खतरा रहता है। हालांकि, मंकीपॉक्स पर चेचक की वैक्सीन असरदार है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, कुछ अध्ययन में ये पाया गया है कि स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी तक कारगर है।

अब तक कितने देशों में फैला चुका है मंकीपॉक्स?

ऐसे तो करीब 15 देशों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। जिसमंे ब्रिटेन, अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, इजराइल, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में मंकीपॉक्स के केस सामने आए हैं। ये आंकड़े केवल 2 हफ्तों में ही मिले मामलों की है।

क्या है मंकीपॉक्स, कैसे फैलता है? (Monkeypox virus transmission in hindi)

Monkeypox virusकिसी भी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति, जानवर या फिर प्रदूषित सतह व चीज के करीबी संपर्क में आते ही व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। जैसे चेचक मंे छोटे-छोटे निशान शरीर पर निकलते हैं ठीक उसी तरह इसमें भी निकलने लगते हैं। मंकीपॉक्स ठीक स्मॉलपॉक्स की तरह ही होता है लेकिन ये थोड़ा कम घातक होता है।

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं? (Monkeypox virus symptoms in hindi)
  • मंकीपॉक्स का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन का होता है। कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण कितने दिन में दिखते हैं।
  • संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं। मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
  • बुखार होने से एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखने लगता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे होते हैं और कुछ हफ्तों में खुद सूखकर गिर जाते हैं।
  • शरीर पर उठने वाले इन दानों की संख्या कुछ से लेकर हजारों तक हो सकती है। अगर संक्रमण गंभीर हो जाता है तो ये दाने तब तक ठीक नहीं होते, जब तक त्वचा ढीली न हो जाए।
मंकीपॉक्स के लिए टीका (Monkeypox virus Vaccination in hindi)

डब्लूएचओ के मुताबिक, कुछ देशों ने हेल्थ वर्कर्स, लेबोरेटरी में काम करने वाले कर्मचारियों और रैपिड रिस्पॉन्स टीम जैसे समूह, जिन्हें इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा है उनके लिए वैक्सीन लगाने के निर्देश जारी किए हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, कुछ अध्ययन में ये पाया गया है कि स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी तक कारगर है।

मंकीपॉक्स का उपचार (Monkeypox virus Treatments in hindi)

1970 के दशक से अफ्रीकी देशों में इस बीमारी की वजह से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। हालांकि अभी तक मंकीपॉक्स के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है लेकिन मंकीपॉक्स जैसी बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। सीडीसी ने इस बीमारी के लिए स्मॉलपॉक्स वैक्सीन Cidofovir, ST-246, Vaccinia Immune Globulin (VIG) को मंकीपॉक्स में इस्तेमाल करने की मंजूरी प्रदान कर रखी है।

क्या मंकीपॉक्स को रोका जा सकता है? (Monkeypox virus Prevention in hindi)

Monkeypox virusअगर कोई पूछता है कि क्या हम इस बीमारी को रोक सकते हैं तो हम कहेंगे कि हो इसे रोका जा सकता है। लेकिन इसके लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। क्योंकि इस बीमारी की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है कि जागरूकता फैलना और लोगों को शिक्षित करना। लोगों को ये बताने की जरूरत है कि वायरस के संपर्क में आने के खतरे को कैसे कम किया जाए और ऐसा क्या किया जाए, जिससे आप इस वायरस से बचे रहें।

हमारे लिए कितनी खतरनाक है ये मंकीपॉक्स ?

 अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की माने तो इस वायरस से संक्रमित हर 10 में से एक व्यक्ति की मौत हो सकती है। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के दो से चार हफ्ते बाद लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं। अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ये चेचक की तरह ही है, लेकिन उसके मुकाबले हल्का है. उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स में मृत्यु दर 1% के आसपास है. ज्यादातर लोग दो से चार हफ्ते में ठीक हो जाते हैं।

सबसे पहले कहां मिला मंकीपॉक्स ?

मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार साल 1958 में यह वायरल इन्फेक्शन बंदर में पाया गया था। इंसानों में पहली बार यह बीमारी 1970 में पाई गई थी। इसका वायरस चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था, जिसके 75% मरीज पुरुष थे। यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो यह ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाया जाता है।

मंकीपॉक्स का संक्रमण आंख, नाक और मुंह के जरिए फैल सकता है। यह मरीज के कपड़े, बर्तन और बिस्तर को छूने से भी फैलता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।

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