देश में ‘कंप्यूटर क्रांति’ के जनक : राजीव गांधी (Rajiv Gandhi – 6th prime minister of India)

0
4
6th prime minister of India
आधुनिक भारत के अग्रणी नेताओं में शुमार राजीव गांधी (6th prime minister of India) अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनका विजन हम सबको अभी भी प्रेरणा देता है। राजीव गांधी इन्दिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े पुत्र और जवाहरलाल नेहरू के नाती थे।उनके जन्म के तीन साल बाद देश आजाद हुआ था। बड़े होने के बाद राजीव गांधी ने न केवल जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की राजनीतिक विरासत को संभाला, बल्कि देश को तकनीक व वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए। देश के एक बड़े राजनीतिक और दमदार परिवार में जन्म के साथ ही राजीव पर काफी जिम्मेदारियां आ गई थीं। उन्होंने इन जिम्मेदारियों को निभाया। राजीव का विवाह सोनिया गांधी से हुआ जो उस समय इटली की नागरिक थी। विवाह के बाद उनकी पत्नी ने नाम बदलकर सोनिया गांधी कर लिया। कहा जाता है कि राजीव गांधी से उनकी मुलाकात तब हुई जब राजीव कैम्ब्रिज में पढ़ने गये थे। उनकी शादी 1968 में हुई जिसके बाद वे भारत में रहने लगी। राजीव व सोनिया के दो बच्चे हैं, पुत्र राहुल गांधी का जन्म 1970 और पुत्री प्रियंका गांधी का जन्म 1972 में हुआ। राजीव गांधी के जन्म दिन के अवसर पर 20 अगस्त को सद्भावना दिवस मनाया जाता है।
राजनीति में प्रवेश
राजीव गांधी का परिवार भले ही राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय था। नाना जवाहर लाल नेहरू के बाद उनकी मां इंदिरा गांधी भी देश की प्रधानमंत्री रहीं और कांग्रेस की कमान संभाली। लेकिन राजीव को नाना या मां की तरह राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। राजनीति में आने से पहले राजीव गांधी एक पेशेवर पायलट थे। परन्तु 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता श्रीमती इन्दिरा गाँधी को सहयोग देने के लिए सन् 1981 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश लिया।
नाना जवाहरलाल नेहरू ने रखा था नाम 
कहा जाता है कि उनका नाम राजीव पूर्व प्रधानमंत्री और उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने रखा था। दरअसल, नेहरू जी की पत्नी का नाम कमला नेहरू था और राजीव का मतलब कमल होता है। कमला की याद को ताजा बनाए रखने के लिए नेहरू जी ने उनका नाम राजीव रखा। राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी से जुड़े भी कई किस्से मशहूर हैं। इनमें से एक है, जब दोनों की मुलाकात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई थी। धीरे-धीरे यह मुलाकात प्यार में बदल गई। कुछ समय के लिए इंदिरा गांधी लंदन गई थीं, तभी राजीव गांधी ने सोनिया गांधी की मुलाकात अपनी मां से करा दी थी। इंदिरा जी शादी के लिए मान तो गई थीं, मगर वह चाहती थीं कि शादी से पहले सोनिया गांधी भारत आकर रहे और इसके बाद ही अंतिम फैसला लें। हालांकि, सोनिया के पिता ऐसा नहीं चाहते थे कि वह भारत जाकर शादी करें और वहां बसें। बाद में सब कुछ ठीक हुआ और 25 फरवरी 1968 को राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी हो गई।
शिक्षा और करियर
उनकी शिक्षा की बात करें तो राजीव गांधी ने इंजीनियरिंग करने के लिए कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन उन्हें किताबी ज्ञान तक सीमित रहना रास नहीं आया। पहले लंदन और फिर कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से तीन साल शिक्षा लेने के बाद भी राजीव गांधी को डिग्री नहीं मिल सकी। फिर भी राजीव गांधी ने लंदन के ही इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया, लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लगा और बाद में राजीव ने भारत लौट कर दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में पायलट की ट्रेनिंग ली। साल 1970 में राजीव गांधी ने एयर इंडिया के साथ अपने करियर की शुरुआत की।
भारत के प्रधानमंत्री (Rajiv Gandhi – 6th prime minister of India) 
राजीव गाँधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने और 31 अक्टूबर 1984 को अंगरक्षकों द्वारा प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद भारत के प्रधानमन्त्री बने और अगले आम चुनावों में सबसे अधिक बहुमत पाकर प्रधानमन्त्री बने रहे। राजीव गांधी ने 1985 में मुंबई में एआईसीसी के पूर्ण सत्र में ‘संदेश यात्रा’ की घोषणा की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल ने इसे पूरे देश में चलाया था। प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) और पार्टी के नेताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ चार यात्राएं कीं। तीन महीने से अधिक समय तक चली यह यात्रा दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई।
राजीव गांधी का शौक
राजीव गांधी को विमान उड़ाने के साथ ही फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था। उनकी तस्वीरों को छापने के लिए कई पब्लिशर्स ने मशक्कत की, लेकिन राजीव गांधी ने कभी अनुमति नहीं दी। हालांकि राजीव गांधी के निधन के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने उनके द्वारा खींची गई तस्वीरों के संग्रह को किताब का रूप दिया ताकि दुनिया को उनकी इस काबिलियत से परिचित कराया जा सके। उनकी किताब का नाम ‘राजीव्स वर्ल्ड- फोटोग्राफ्स बाय राजीव गांधी’ है।
राजीव गांधी और राजनीति
राजीव गांधी की छवि हमेशा से ही साफ सुथरी और बेदाग थी। जब उन्होंने 1980 में राजीनीति में कदम रखा तो उन्हें मिस्टर क्लीन माना जाता था। शुरुआत से विदेश में पढ़ाई करने वाला एक नौजवान महज 40 साल की उम्र में राष्ट्रीय राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंच गया। हालांकि राजनीति में आने के बाद उनका नाम कई बड़े घोटालों में आया, जिससे उनकी छवि धूमिल हो गई। कहा जाता है कि राजीव गांधी एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो खुद अपनी गाड़ी चलाकर जगह जगह जाते थे। कई चुनावी रैलियों में भी राजीव गांधी खुद अपनी कार चलाकर पहुंचे थे। उनके सुरक्षा गार्ड पीछे आते थे।
आरोपों से घिरे रहे 
आरोप था कि राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने इस मामले में बिचौलिये की भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डालर का था। उन पर आरोप लगा कि स्वीडन की हथियार कम्पनी बोफ़ोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बाँटी थी। काफी समय तक राजीव गांधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्तों की सूची में शामिल रहा, लेकिन उनकी मौत के बाद नाम फाइल से हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जाँच सौंपी गयी, लेकिन सरकारें बदलने पर सीबीआई की जाँच की दिशा भी लगातार बदलती रही।
सीबीआई की भूमिका की आलोचना
इस मामले को सीबीआई ने जिस तरह से भूमिका निभायी है, उसकी विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों और लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर आलोचना भी की गई।
भारत में सूचना क्रान्ति के माने जाते हैं जनक
राजीव गांधी भारत में सूचना क्रान्ति के जनक माने जाते हैं। देश के कम्प्यूटराइजेशन और टेलीकम्युनिकेशन क्रान्ति का श्रेय उन्हें जाता है। राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया, बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया। देश की दो बड़ी टेलिकॉम कंपनी एमटीएनएल और वीएसएनएल की शुरुआत उनके कार्यकाल के दौरान हुआ।उनके इस योगदान ने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारतीय घर तक लाने का काम किया गया बल्कि भारत में इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया। उस दौर में कंप्यूटर लाना इतना आसान नहीं था, तब कंप्यूटर्स महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे। यहीं से कंप्यूटर्स की कीमतें कम होनी शुरू हुई। क्योंकि इससे पहले तक कंप्यूटर्स सिर्फ चुनिंदा संस्थानों में इंस्टॉल किए गए थे।
सैम पित्रोदा ने भी अहम भूमिका निभाई 
भारत में टेलीकॉम और कंप्यूटर क्रांति में सैम पित्रोदा ने भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने लगभग दशकों तक राजीव गांधी के साथ मिलकर भारतीय इन्फॉर्मेशन इंडस्ट्री बनाने में मदद की। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले साल  1970 में पहली बार भारत में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी जिसका मकसद पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन की नींव रखना था।  1978 में IBM के अलावा दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भारत में कंप्यूटर बनाना शुरू किया।एक बार पित्रोदा ने कहा भी था कि नरेंद्र मोदी ने नहीं, बल्कि राजीव गांधी ने डिजिटल इंडिया के लिए सबसे पहले काम शुरू किया था। राजीव गांधी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिसकी वजह से देश ने उनके कार्यकाल में डिजिटल क्रांति देखी।
18 वर्ष तक के युवाओं को वोट देने का अधिकार  दिलाया 
स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को 33% रिजर्वेशन दिलवाने का काम उन्होंने किया। मतदाता की उम्र 21 वर्ष से कम करके 18 वर्ष तक के युवाओं को चुनाव में वोट देने का अधिकार राजीव गांधी ने दिलवाया।
पंचायतों को किया सशक्त
पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाएं मजबूती से विकास कार्य कर सकें, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त किया। राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सबल नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच।. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया। 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ। राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73 वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. जिससे सभी राज्यों को पंचायतों के चुनाव कराने को मजबूर होना पड़ा. पंचायतीराज व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा।
नवोदय विद्यालय खोले
गांवों के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी। ये आवासीय विद्यालय होते हैं। प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है। बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है। राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी क्रांतिकारी उपाय किए। उनकी सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की।.इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ।
परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए कार्य योजना प्रस्तुत की
उन्होंने चीन और पाकिस्तान के साथ हमारे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की और संयुक्त राष्ट्र को सार्वभौमिक और पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की।
जन संपर्क कार्यक्रम
1990 में, राजीव गांधी ने विभिन्न तरीकों से भारत यात्रा की उन्होंने अपनी ‘भारत यात्रा’ के शुरुआती बिंदु के रूप में चंपारण को चुना। राजीव गांधी ने 19 अक्टूबर 1990 को हैदराबाद के चारमीनार से सद्भावना यात्रा शुरू की थी।
1 मई 1991 की रात हुई दर्दनाक मौत (Death of Rajiv Gandhi)
21 मई 1991 की रात जब वह तमिलनाडु में चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे तो मंच की ओर आती एक महिला आत्मघाती हमलावर ने उन्हें माला पहनाने की कोशिश की। जैसे ही महिला हमलावर ने उन्हें माला पहनाई और पैर छूने के लिए झुकी उसने अपने कमर पर बंधे बम का बटन दबा दिया. इस धमाके में राजीव गांधी की दर्दनाक मौत हो गई। हत्या के पीछे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम नामक आतंकवादी संगठन का हाथ था।
राजीव गांधी के 10 अनमोल वचन
लेकिन एक युवा राष्ट्र है…
-भारत एक प्राचीन देश, लेकिन एक युवा राष्ट्र है…मैं जवान हूं और मेरा भी एक सपना है। मेरा सपना है भारत को मजबूत, स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और दुनिया के सभी देशों में से प्रथम रैंक में लाना और मानव जाति की सेवा करना।
कारखानों, बांधों और सड़कों को विकास नहीं कहते…
-कारखानों, बांधों और सड़कों को विकास नहीं कहते। विकास तो लोगों के बारे में है। इसका लक्ष्य लोगों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पूर्ति करना है। विकास में मानवीय मूल्यों को प्रथम वरीयता दी जाती है।
देश की सामाजिक चेतना होती हैं…
-महिलायें एक देश की सामाजिक चेतना होती हैं। वे हमारे समाज को एक साथ जोड़ कर रखती है।
हर व्यक्ति को इतिहास से सबक लेना चाहिए…
-हर व्यक्ति को इतिहास से सबक लेना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि जहां कहीं भी आंतरिक झगड़े और देश में आपसी संघर्ष हुआ है, वह देश कमजोर हो गया है। इस कारण, बाहर से खतरा बढ़ता है। देश को ऐसी कमजोरी के कारण देश बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
शिक्षा को हमारे समाज में बराबरी का स्थान दिया जाता है…
-शिक्षा को हमारे समाज में बराबरी का स्थान दिया जाता है। यह एक ऐसा उपकरण है जो हमारे पिछले हजारों सालों के सामाजिक व्यवस्था को एक बराबर के स्तर पर ला सकता है।
वे मजबूत हैं तो देश की स्वतंत्रता भी मजबूत हो जाती है…
-यदि किसान कमजोर हो जाते हैं तो देश आत्मनिर्भरता खो देता है, लेकिन अगर वे मजबूत हैं तो देश की स्वतंत्रता भी मजबूत हो जाती है। अगर हम कृषि की प्रगति को बरकरार नहीं रख पाए तो देश से हम गरीबी नहीं मिटा पाएंगे। लेकिन हमारा सबसे बड़ा कार्यक्रम गरीबी उन्मूलन हमारे किसानों के जीवन स्तर में सुधार लायेगा। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का मकसद किसानों का उत्थान करना है।
हमारे औपनिवेशिक अतीत की विरासत…
-हमारा आज का काम भारत को इक्कीसवीं सदी में गरीबी के बोझ से मुक्ति, हमारे औपनिवेशिक अतीत की विरासत और हमारे लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होगा।
अपने खून की आखिरी बूंद तक…
-वह केवल मेरे लिए ही मां नहीं थी बल्कि पूरे देश के लिए मां थी। अपने खून की आखिरी बूंद तक उन्होंने भारतीय लोगों की सेवा की। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो जमीन हिलती है।
राजीव गांधी से जुडी खास बातें
राजीव गांधी को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय और आधुनिक संगीत पसंद था।
उन्हें रेडियो सुनने तथा फोटोग्राफी का भी शौक था। राजीव गाँधी को सुरक्षाकर्मियों का घेरा बिलकुल पसंद नहीं था।
राजीव गाँधी अपनी जीप खुद ड्राइव करना पसंद करते थे।
इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण उनका प्रमुख उद्देश्य था।
‘राजीव गांधी खेल रत्न’ भारत का खेल जगत में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here