Uniform Civil Code- UCC क्या है! समान नागरिक संहिता के बारे में जानते हैं

0
6
what is Uniform Civil Code

Uniform Civil Code- UCC क्या है, यह सवाल आज हर किसी के पास है कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) क्या है? समान नागरिक संहिता लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बयान के बाद UCC का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद देशभर में इस मुद्दे को लेकर बहस चल रही है। तमाम राजनीतिक दलों खासकर विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे के लिए अपने-अपने सवाल उठा रहे हैं।
लेकिन समान नागरिक संहिता कानून क्या है इस बारे में आज जनता को भी जानकारी जरूरी है। हम बड़ी-बड़ी बातें न कर के आइए जानते हैं कि Uniform Civil Code- UCC क्या है! और इससे आम जनता पर क्या असर बड़ेगा।

साथ ही यह भी जानिए कि Uniform Civil Code (समान नागरिक संहिता), किन-किन देशों में लागू है?

क्या है समान नागरिक संहिता कानून (What is UCC)

समान नागरिक संहिता का सीधा सा मतलब यह कि एक देश और एक कानून होना। इसका मतलब यह है कि आप जिस धर्म से हो आपको उस देश का कानून मानना होगा। जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं। फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं। ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को भविष्य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा। इससे आप समझ ही गए होंगे कि समान नागरिक संहिता कानून क्या होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में कुछ और तथ्य।

देश के किस राज्य में अभी UCC लागू है?

क्या आप जानते हैं कि अभी भारत के किस राज्य में Uniform Civil Code कानून लागू है नहीं तो जान लीजिए। गोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां UCC लागू है। संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। गोवा में इस कानून को गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है। वहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है। इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है। रजिस्‍ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगी। शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है। संपत्ति पर पति-पत्नी का समान अधिकार है।

इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं। गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है।

समान नागरिक कानून कब लागू हुआ ?

समान नागरिक कानून (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का जिक्र पहली बार 1835 में ब्रिटिश काल में किया गया था। उस समय ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है। संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है। लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका।

इसका कारण भारतीय संस्‍कृति की विविधता है। यहां एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते हैं। आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्यक हैं, लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्यों में उनके रीति रिवाजों में काफी अंतर मिल जाएगा। सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने अलग कानून हैं। ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के कानून अपने आप खत्म हो जाएंगे।

किन देशों में लागू है समान ना‍गरिक संहिता कानून ?

आज बहुत से देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू कर दिया गया है। जिससे कि देश में नागरिकों के बीच कानून की समानता बनी रही। समान नागरिक संहिता को लेकर अगर दुनिया की बात करें, तो ऐसे बहुत से देश हैं जहां ये कानूने पहले से लागू है। इसमें आयरलैंड, अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल हैं। यूरोप के कई ऐसे देश हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं, वहीं इस्लामिक देशों में शरिया कानून को मानते हैं।

भारत में समान नागरिक संहिता किसने लागू की?

भारतीय संसद ने 1948-1951 और 1951-1954 सत्र के दौरान हिंदू कानून समिति की रिपोर्ट पर बहुत चर्चा हुई थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके समर्थक और महिला सदस्य चाहते थे कि समान नागरिक संहिता लागू की जाए। कानून मंत्री के रूप में बीआर अंबेडकर इस विधेयक का विवरण प्रस्तुत करने के प्रभारी थे। यह पाया गया कि रूढ़िवादी हिंदू कानून महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करते थे क्योंकि एक विवाह, तलाक और विधवा को संपत्ति विरासत में देने का अधिकार शास्त्रों में मौजूद था। अंबेडकर ने समान नागरिक संहिता अपनाने की सिफारिश की। लेकिन अम्बेडकर को संसद में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा जिस पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

FAQ

Q. समान नागरिक संहिता की उत्पति कैसे हुई?
A. ब्रिटिश सरकार ने 1835 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें अपराधों, सबूतों और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। यह भी सिफारिश की गई थी हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को इस तरह के संहिताकरण के बाहर रखा जाए। यही से समान नागरिक संहिता की उत्पति हुई थी?
Q. भारत में समान नागरिक संहिता किसने लागू की?
A. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके समर्थक और महिला सदस्य चाहते थे कि समान नागरिक संहिता लागू की जाए।
Q. भारत के किस राज्य में इस तरह का कानून है?
A. गोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां UCC लागू है। संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। गोवा में इस कानून को गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है।
Q. भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य कौन सा है?
A. उत्तराखंड राज्य इस कानून को लागू करने के लिए निर्णय लेने वाला देश में पहला राज्य बन गया है।
Q. समान नागरिक संहिता को किस देश ने अपनाया?
A. अभी अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, मिस्र और आयरलैंड जैसे देशों में समान नागरिक संहिता का पालन किया जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here