क्या है मंकीपॉक्स, क्या होते हैं लक्षण ?(what is monkeypox virus in hindi
अगर अब भी आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या है मंकीपॉक्स क्या है ? (What is Monkeypox) मंकीपॉक्स (Monkeypox) संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस के अनुसार मंकीपॉक्स (what is monkeypox virus in hindi) संक्रमण ने पूरी दुनिया के सामने एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है। भारत सहित दुनियाभर में इसके 16 हजार से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं. मई की शुरुआत में यूनाइटेड किंगडम में मुट्ठी भर मामलों की रिपोर्ट ने संकेत दिया कि इसका प्रकोप यूरोप में चला गया था। मंकीपॉक्स से अब तक पांच मौतें हुई हैं. ये सभी अफ्रीका में हुई हैं. आइये विस्तार से जानते हैं
मंकीपॉक्स का सबसे बड़ा अध्ययन क्या है ?
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन मंकीपॉक्स की अब तक की सबसे बड़ा अध्ययन है। यह अध्ययन 27 अप्रैल से 24 जून के बीच चला, जिसमें 528 मामले शामिल हैं। त्वचा की समस्याओं और चकत्ते के साथ शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में कई संक्रमित लोगों में ऐसे लक्षण थे, जो अभी तक मंकीपॉक्स की वर्तमान चिकित्सा परिभाषाओं में पहचाने नहीं गए हैं। इन लक्षणों में जननांग में घाव, मुंह में घाव और गुदा पर घाव शामिल हैं।
मंकीपॉक्स का लक्षण क्या है ?
शोधकर्ताओं ने पाया कि दस में से एक व्यक्ति को जननांग हिस्से में केवल एक ही घाव था और अध्ययन में शामिल 15 प्रतिशत लोगों को गुदा या मलाशय में दर्द था। कुछ लोगों को गुदा और मुंह में घाव जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके वजह से उन्हें दर्द और भोजन निगलने में कठिनाई हो रही है।
मंकीपॉक्स को रोकने के उपाय क्या है ?
शोध के विशेषज्ञों का सुझाव है कि जोखिम वाले समूहों के साथ बड़े लेवल पर काम होना चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को बेहतर किया जाना चाहिए। लोगों को बीमारी और लक्षणों के बारे में सही जानकारी दी जानी चाहिए। समय पर निदान करना और उचित उपचार के जरिए इसे फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है।-
मंकीपॉक्स क्या है
यह एक रेयर जूनोटिक बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। यह पॉक्सिविरेडे परिवार से संबंध रखता है, इसमें चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी होते हैं। वायरस का एक परिवार होता है, उसमें अलग-अलग वायरस और उसके स्ट्रेन होते हैं, जैसे कोरोना वायरस एक परिवार है, इसमें कोरोना के अलग-अलग वायरस यानी स्ट्रेन अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, ओमिक्रॉन थे।
मंकीपॉक्स के लक्षण
- फीवर, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत
- चिकनपॉक्स की तरह शरीर में रैशेज और दाने बन जाते हैं
- दाने का आकार बड़ा होता है और इसमें पस भर जाती है
- 5 से 21 दिन का है इसका इनक्यूबेशन पीरियड
- यह अपने आप ठीक हो जाता है
- यह लंग्स की बीमारी न होकर स्किन की बीमारी है
कैसे होती है जांच
- आरटी पीसीआर टेस्ट करना होता है
- मरीज के शरीर में बने रैश के अंदर का पानी सैंपल के रूप में निकालते
- बीमारी की पहचान के लिए क्लीनिकल और डायग्नोस्टिक दोनों जांच जरूरी
- पीसीआर जांच में डीएनए का मिलान किया जाता है
- देश में सिर्फ एनआईवी पुणे में ही इसकी जांच हो रही है
- 15 अन्य लैब को जांच के लिए किया जा रहा है तैयार
मंकीपॉक्स कितना खतरनाक
- दो स्ट्रेन हैं। पहला कांगो और दूसरा पश्चिमी अफ्रीकी स्ट्रेन
- 05 साल से छोटे बच्चों को ज्यादा खतरा
- 10 फीसदी तक हो सकता है कांगो स्ट्रेन से संक्रमण में डेथ रेट
- 01 से 03 फीसदी पश्चिमी अफ्रीकी स्ट्रेन में होता है जान जाने का खतरा
- 99 फीसदी मरीज पुरुष हैं, 01 फीसदी महिलाएं
- मल्टीपल ऑर्गन, हार्ट, लिवर, किडनी आदि पर असर डालता है
यह वायरस कैसे फैलता है
यह जानवरों में होने वाला वायरस है। किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से यह इंसान तक पहुंचता है और फिर इंसान से यह दूसरे इंसान और फिर कम्यूनिटी स्तर पर फैल सकता है। वायरस मरीज के जख्म से निकल कर आंख, नाक और मुंह के जरिए दूसरे इंसान तक पहुंच सकता है। यह कुत्ते, बिल्ली, बंदर जैसे जानवरों के संपर्क में आए बेडस, कपड़े से भी फैल सकता है। एक संक्रमित इंसान के बहुत करीब जाने, हाथ मिलाने से यह फैल सकता है। सेक्स करने और किस करने पर भी यह वायरस फैल सकता है।
मंकीपॉक्स की वैक्सीन है ?
यूरोपीय संघ ने मंकीपॉक्स के इलाज के लिए चेचक की वैक्सीन इम्वेनेक्स को इस्तेमाल की मंजूरी देने की सिफारिश की है। डेनिश दवा निर्माता बवेरियन नॉर्डिक द्वारा विकसित की गई यह वैक्सीन चेचक की रोकथाम के लिए 2013 में यूरोपीय संघ में अनुमोदित किया गया है। मंकीपॉक्स वायरस और चेचक वायरस के बीच समानता के कारण इसे मंकीपॉक्स के लिए एक संभावित वैक्सीन भी माना जाता रहा है।
कितना खतरनाक है मंकीपाॅक्स पढ़िए
मंकीपॉक्स के लिए गाइडलाइंस क्या है ?
स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार अगर कोई मामला सामने आता है तो राज्यों और जिलों में बने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत सैंपल को आईसीएमआर एनआईवी के पुणे स्थित लैब में भेजा जाएगा, जहां सैंपल की जांच होगी। मंत्रालय की गाइडलाइन में बीमार और उसकी देखभाल, जांच, मैनेजमेंट आदि पर ध्यान देने की भी बात कही है। गाइडलाइन में मरीजों की देखभाल और नए मामलों की पहचान पर भी जोर दिया गया है।
मंकीपॉक्स में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
- विदेश से आए बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क में न आएं
- बंदर, चूहे, छछूंदर, वानर प्रजाति के जीवों से दूर रहें
- मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के संपर्क में आने से भी बचें
- बीमार लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में न आएं
- अस्पतालों में तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट हो।
- आइसोलेशन में रखे गए मरीज के जब तक सभी घाव ठीक नहीं होते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती है, उसे छुट्टी न दी जाए।
मंकीपॉक्स का क्या इलाज है?
मंकीपॉक्स के लक्षण अक्सर हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। माध्यमिक जीवाणु संक्रमण के लिए मरीजों को अतिरिक्त तरल पदार्थ और अतिरिक्त उपचार प्राप्त हो सकता है। एक एंटीवायरल एजेंट जिसे टेकोविरिमैट कहा जाता है – टीपीओएक्सएक्स के रूप में ब्रांडेड और एसआईजीए टेक्नोलॉजीज द्वारा बनाया गया – को चेचक के लिए यू.एस. और यूरोपीय संघ की मंजूरी है, जबकि इसकी यूरोपीय स्वीकृति में मंकीपॉक्स और चेचक भी शामिल हैं।