Why do earthquakes happen : भूकंप (Earthquake) पृथ्वी की सतह पर अचानक और तेज कंपन (vibration) को कहा जाता है। यह मुख्यतः पृथ्वी की आंतरिक संरचना में होने वाली हलचलों की वजह से होता है। भूकंपों का कारण क्या है, यह समझने के लिए हमें पहले पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझना होगा।
भूकंप के कारण:
- पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Earth’s Interior Structure): पृथ्वी की आंतरिक संरचना तीन प्रमुख भागों में बंटी होती है:
- कोर (Core): यह सबसे भीतरी हिस्सा है, जो तरल (outer core) और ठोस (inner core) दोनों प्रकार का होता है।
- मंटल (Mantle): कोर के ऊपर की परत होती है, जो घनी और ठोस होती है।
- क्रस्ट (Crust): पृथ्वी की सबसे बाहरी परत होती है, जो ठोस होती है और विभिन्न प्लेटों में बंटी होती है।
- टेक्टोनिक प्लेट्स का परस्पर घर्षण (Tectonic Plate Movements): पृथ्वी की क्रस्ट विभिन्न टेक्टोनिक प्लेटों (tectonic plates) में बंटी हुई है। ये प्लेटें हमेशा गतिमान रहती हैं और कभी एक-दूसरे से टकराती हैं, कभी एक-दूसरे से दूर जाती हैं, या कभी एक-दूसरे के नीचे घुस जाती हैं। इन प्लेटों के बीच में घर्षण, दबाव, और ऊर्जा का संचय होता है, जो अंततः भूकंप का कारण बनता है।
- पृथ्वी के भीतर ऊर्जा का संकेंद्रण (Energy Accumulation): जब टेक्टोनिक प्लेटों के बीच दबाव और तनाव अत्यधिक बढ़ जाता है, तो यह ऊर्जा एक साथ संकेंद्रित हो जाती है। जब यह संकेंद्रित ऊर्जा अचानक रिलीज़ होती है, तो यह भूकंप के रूप में सामने आती है। इस रिलीज़ होने वाली ऊर्जा के कारण पृथ्वी की सतह में कंपन उत्पन्न होते हैं, जिन्हें हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।
- मानव जनित कारण (Human-Induced Causes): कभी-कभी मानवीय गतिविधियाँ जैसे कि बड़े बांधों का निर्माण, खनन, या गहरे कुओं की खुदाई भी भूकंप का कारण बन सकती हैं। इन्हें इंड्यूस्ड या मानवजनित भूकंप कहा जाता है।
- वोल्केनिक एक्टिविटी (Volcanic Activity): जब ज्वालामुखी सक्रिय होते हैं, तो उनके भीतर होने वाली हलचल और गैसों का प्रवाह भी भूकंप का कारण बन सकता है। यह भूकंप अक्सर ज्वालामुखी के फटने से पहले होते हैं।
भूकंप के प्रकार:
- साधारण भूकंप (Tectonic Earthquakes): ये भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों के बीच की गतिविधियों से होते हैं।
- वोल्केनिक भूकंप (Volcanic Earthquakes): ये भूकंप ज्वालामुखी के कारण होते हैं।
- इंड्यूस्ड भूकंप (Induced Earthquakes): ये मानव जनित गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
भूकंप के प्रभाव:
भूस्खलन (Landslides): भूकंप के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन हो सकता है, जिससे सड़कें बंद हो जाती हैं और जीवन के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
सतह पर प्रभाव: जब भूकंप आता है, तो भूमि पर हलचल होती है जिससे इमारतें, सड़कों, पुल, आदि ढह सकते हैं। इससे व्यापक तबाही हो सकती है।
सुनामी (Tsunami): समुद्र के नीचे भूकंप आने पर समुद्र में विशाल लहरें उठ सकती हैं, जो सुनामी का रूप धारण करती हैं और तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचा सकती हैं।
भूकंप का मापन
भूकंप की तीव्रता और शक्ति को मापने के लिए दो प्रमुख पैमाने उपयोग किए जाते हैं:
1. रिक्टर स्केल
- यह भूकंप के परिमाण (magnitude) को मापता है।
- 0 से 10 तक की संख्याओं में व्यक्त किया जाता है।
- प्रत्येक इकाई का अंतर दस गुना होता है। उदाहरण: 5 तीव्रता वाला भूकंप, 4 से दस गुना अधिक शक्तिशाली होता है।
2. मर्कल्ली स्केल
- यह भूकंप की तीव्रता को मापता है, जो इसके प्रभावों और क्षति पर आधारित होती है।
- 1 से 12 तक की संख्याओं में व्यक्त की जाती है।
भूकंप के दौरान और बाद में सुरक्षा उपाय
भूकंप को रोका नहीं जा सकता, लेकिन सही जानकारी और तैयारी से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय दिए गए हैं:
भूकंप के दौरान
- घर के अंदर:
- मजबूत टेबल या डेस्क के नीचे छिपें।
- सिर को हाथों से ढकें।
- खिड़कियों और भारी वस्तुओं से दूर रहें।
- बाहर:
- खुले मैदान में जाएं।
- बिजली के खंभों और इमारतों से बचें।
- वाहन में:
- वाहन को सड़क किनारे रोकें और अंदर ही रहें।
भूकंप के बाद
- गैस लीक और आग:
- गैस बंद करें और आग की स्थिति में तुरंत बाहर निकलें।
- क्षतिग्रस्त इमारतें:
- ऐसी इमारतों में प्रवेश न करें।
- आपातकालीन तैयारी:
- पानी, भोजन और प्राथमिक चिकित्सा किट तैयार रखें।
निष्कर्ष
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसका मुख्य कारण पृथ्वी की आंतरिक संरचना और टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियां हैं। इसके प्रभाव से बचाव के लिए भूकंप-रोधी संरचनाओं और जागरूकता की आवश्यकता होती है। सही जानकारी और तैयारी से भूकंप के नुकसान को कम किया जा सकता है।